पटना
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम पार्टियां अपने पूरे दम-खम का प्रदर्शन करने में जुट गई हैं। प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी लगातार बढ़ रही है। लेकिन मंगलवार को ओवैसी की पार्टी यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के एक ऐलान ने अचानक सूबे का राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है। इस ऐलान से सबसे ज्यादा टेंशन में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव आ सकते हैं। ऐसा क्यों होगा, ये भी आपको बताएंगे, लेकिन उससे पहले आप इस ऐलान के बारे में जान लीजिए।
AIMIM इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है। मंगलवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने 18 और सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। AIMIM ने बिहार की 32 विधानसभा सीटों पर पहले ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद अब 18 और सीटों को मिला दें तो ओवैसी की पार्टी इस बार 50 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। हालांकि अभी तक किसी भी उम्मीदवार के नाम की घोषणा पार्टी द्वारा नहीं की गई है।
2015 विधानसभा में सिर्फ 6 सीटों पर लड़ी थी चुनाव
ओवैसी की पार्टी का 50 सीटों पर चुनाव लड़ने से बिहार के समीकरण में भारी बदलाव आ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2015 के चुनाव में उनकी पार्टी महज 6 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। एआईएमआईएम जिन इलाकों में चुनाव लड़ने की तैयारी में है इनमें ज़्यादातर सीटें मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके की हैं। अब आप समझ गए होंगे कि हम लालू के लिए टेंशन की बात क्यों कह रहे हैं।
असल में बिहार की राजनीति में लालू को एमवाई यानी मुस्लिम-य़ादव समीकरण का सबसे सशक्त चेहरा माना जाता है। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद लालू के नेतृत्व में राजद ने अपने इस वोटर बेस को बचाए रखने में सफलता हासिल की है। ऐसे में AIMIM के इस ऐलान से आरजेडी का सकते में आना स्वभाविक है।