ट्रंप, नासा का ऑफर ठुकरा चुका है 19 साल का ये बिहारी युवक, कर चुका है ये आविष्कार

पटना

नासा ने तीन बार इन्हें अपने यहां काम करने के लिए बुलाया। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इन्हें अपने देश में आकर काम करने के लिए कहा। फिर भी बिहार के भागलपुर से नाता रखने वाले इस लाल ने ये सभी ऑफर ठुकरा दिए। क्यों? क्योंकि उन्हें अपने देश में रहकर ही देश की सेवा करनी थी। नाम है इनका गोपाल। भागलपुर के ध्रुवगंज के ये रहने वाले हैं। उम्र है इनकी 19 साल की। सपना है इनका हर साल 100 बच्चों की मदद करना। 12वीं तक की पढ़ाई गोपाल ने मॉडल हाई स्कूल तुलसीपुर से की थी।

बाढ़ ने जब किया सब बर्बाद

बायो सेल का उन्होंने आविष्कार किया था। इसके बाद उन्हें इंस्पायर अवार्ड मिला था। 6 अविष्कार इन्होंने एनआईएफ में किया। दुनिया के 30 स्टार्टअप साइंटिस्ट में इनका नाम शामिल है। जब ये दसवीं में पढ़ाई कर रहे थे, उसी दौरान इनका गांव 2008 में बाढ़ की वजह से बर्बाद हो गया था।

पिता ने खड़े किए हाथ

इनके पिता प्रेम रंजन कुंवर ने इन्हें स्पष्ट कह दिया था कि इसके आगे पढ़ा पाना उनके लिए संभव नहीं होगा। फिर भी गोपाल ने हिम्मत बरकरार रखी। स्कॉलरशिप के लिए कोशिश की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 2017 में 31 अगस्त को उन्होंने मुलाकात की। इसके बाद अहमदाबाद के एनआईएफ में प्रधानमंत्री ने उन्हें भेज दिया।

बनाने जा रहे लैब

देहरादून के सरकारी ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट की लैब में वे टेस्टिंग में भी लगे हुए हैं। झारखंड में भी एक लैब वे बनाने वाले हैं, जहां पर कि वे अपने रिसर्च को आगे बढ़ाएंगे। गोपाल ने पेपर बायो सेल का आविष्कार किया, जिसके जरिए वेस्टेज पेपर से बिजली तैयार हो सकती है।

बिजली उत्पादन के लिए

इन्होंने जी स्टार पाउडर बनाया, जिसे लगाने के बाद 5000 डिग्री सेल्सियस तक तापमान को प्राप्त किया जाना मुमकिन है। इसके अलावा उन्होंने सोलर माइल भी बनाया है, जिसमें कि सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा मिली हुई है। इसके जरिए हवा यदि 2 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी चलती है तब भी बिजली का उत्पादन करना मुमकिन है।

गोपालासका आविष्कार

केले के लिक्विड से हेयर डाई तैयार करने का भी तरीका इन्होंने ढूंढ निकाला है। अभी तक 8 बच्चों के आविष्कार का गोपाल प्रोविजनल पेटेंट भी करवा चुके हैं। गोपालासका नामक एक और आविष्कार गोपाल ने किया है, जिसकी मदद से न्यूक्लियर हमले के दौरान पैदा होने वाले रेडिएशन को भी कम किया जाना मुमकिन है। यह केवल 5 वर्षों में ही इसके प्रभाव को पूरी तरीके से खत्म कर सकता है, जबकि वर्तमान में यदि परमाणु हमला होता है तो रेडिएशन का प्रभाव लगभग 100 वर्षों तक बना रहता है।

बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का आविष्कार

गोपाल बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का भी आविष्कार कर चुके हैं। केले के थंब से यह बनता है। एक बार आपने इसे प्रयोग में ले आया तो इसके बाद यह खुद खाद बन जाता है और खेतों में भी यह इस्तेमाल किए जा सकने के काबिल होता है। गोपाल हाइड्रो इलेक्ट्रिक बायो सेल भी बना चुके हैं, जिसमें कि 50 हजार वोल्ट तक की बिजली को स्टोर किया जाना मुमकिन है।

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