ये हैं शीला मंडल। पहली बार विधायक बनी हैं और पहली ही बार नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में ये शामिल कर ली गई हैं। परिवहन विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी इन्होंने संभाली है। शीला मंडल को मधुबनी जिले के फुलपरास सीट से जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल हुई है। उन्होंने कांग्रेस के कृपानाथ पाठक को इस सीट से हराया है।
पति हैं इंजीनियर
इनके पति का नाम शैलेंद्र कुमार है, जो कि ग्रामीण कार्य विभाग में कार्यपालक अभियंता के तौर पर सेवा दे रहे हैं। शीला मंडल एक राजनीतिक घराने से नाता रखती हैं। इनके ससुर हरियाणा के राज्यपाल रह चुके हैं। उनका नाम धनिक लाल मंडल था।
अब तक थीं गृहिणी
वर्ष 1991 में शीला मंडल की शादी हो गई थी। तब से एक गृहिणी के तौर पर ही वे घर की देखरेख में लगी हुई थीं। शीला मंडल को इस बार जेडीयू की सेटिंग विधायक गुलजार देवी का टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया गया था। नीतीश कुमार के भरोसे पर वे पूरी तरह से खरा उतरीं और चुनाव जीत भी गईं। सबसे बड़ी बात है कि शीला मंडल के खिलाफ जेडीयू के विधायक भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन शीला मंडल ने उन्हें भी हरा दिया।
फुलपरास से बने थे ये विधायक
अति पिछड़ी जाति से नाता रखने वालीं शीला मंडल के एक बेटे और एक बेटी हैं। उनके चचेरे ससुर धनिक लाल मंडल जो कि हरियाणा के राज्यपाल बने थे, वे भी फुलपरास से ही विधायक रहे थे और बाद में बिहार विधानसभा के सभापति का भी जिम्मा उन्होंने संभाला था।
चचेरे ससुर बने थे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री
मोरारजी देसाई की सरकार में धनिक लाल मंडल केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बने थे। हरियाणा के राज्यपाल की जिम्मेवारी उन्होंने 1990 से 1995 तक संभाली थी। झंझारपुर से 1977 के आम चुनाव में जीत दर्ज करके वे सांसद बने थे। राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर शीला मंडल के जेठ और धनिक लाल मंडल के बेटे भारत भूषण मंडल ने लौकहा से चुनाव लड़ा था और यहां से जीत जाने के बाद वे भी विधायक बन गए हैं।
लिखने में विशेष रुचि
शीला मंडल ने पोस्टग्रेजुएट तक की पढ़ाई की है। कविता लिखने में उनकी बड़ी रुचि है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बीते सोमवार को 15 मंत्रियों ने भी शपथ लिया था। नीतीश कुमार ने इस बार गृह मंत्रालय और सामान्य प्रशासन अपने पास ही रखा है।