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53 साल बाद नक्सल मुक्त बिहार : नक्सलियों के गढ़ में CRPF ने खोले कैंप, शाह बोले- बड़ी सफलता

Patna : 53 साल बाद बिहार पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो गया है। 1969 में पहली बार नक्सलियों ने धमकी दी थी। फिर उसने सबसे पहले मुजफ्फरपुर के मुसहरी में पुलिस पर हमला किया। तभी से बिहार में नक्सलियों का आतंक जारी है। हालांकि अब हालात बदल गये हैं। 53 साल बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार को नक्सल मुक्त करार दिया है।
अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा- देश की आंतरिक सुरक्षा में एक ऐतिहासिक पड़ाव पार हुआ है। पीएम @narendramodi जी के नेतृत्व में देशभर में वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध चल रही निर्णायक लड़ाई में सुरक्षाबलों ने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है। इसके लिए @crpfindia सुरक्षा एजेंसियों व राज्य पुलिसबलों को बधाई देता हूँ।

उन्होंने लिखा- पहली बार बूढा पहाड़, चक्रबंधा व भीमबांध के दुर्गम क्षेत्रों से माओवादियों को सफलतापूर्वक निकालकर सुरक्षाबलों के स्थायी कैंप स्थापित किये गए हैं। @narendramodi जी के नेतृत्व में आतंकवाद व LWE के विरुद्ध गृह मंत्रालय की जीरो टॉलेरेंस की नीति जारी रहेगी और ये लड़ाई आगे और तेज होगी।
उन्होंने कहा- शीर्ष माओवादियों के गढ़ में महीनों तक चले अभियानों में सुरक्षा बलों को अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई ,जिसमें 14 माओवादियों को मार गिराया गया व 590 से अधिक की गिरफ्तारी/आत्मसमर्पण हुआ। जिसमें लाखों-करोड़ों के ईनामी माओवादी जैसे मिथिलेश महतो जिसपर 1 करोड़ का इनाम था पकड़ा गया।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक 5000 बारूदी सुरंगें डाल औरंगाबाद के चक्रबंध को नक्सली कमांडर संदीप यादव ने अभेद्य किला बनाया था। अब यहां सीआरपीएफ के चार कैंप हैं। जमुई, लखीसराय और मुंगेर से घिरे भीमा बांध के इलाके में नक्सलियों का दबदबा पूरी तरह खत्म हो गया है।
गृह मंत्री अमित शाह और सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने भी बुधवार को इसे मंजूरी दे दी। सीआरपीएफ के डीजी ने कहा कि बिहार अब नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त हो चुका है। माओवादी केवल जबरन वसूली गिरोह के रूप में मौजूद हैं। वह पूर्वी क्षेत्र के किसी भी राज्य पर हावी नहीं था। यह पहली बार है जब इस तरह की आधिकारिक घोषणा की गई है।
35 किमी की पहाड़ियां 33 साल से नक्सलियों का गढ़ रही हैं। 2006 से उन्हें बेदखल करने के प्रयास चल रहे थे। 2022 में सफलता मिली। यहां 5000 लैंड माइंस बिछाई गईं थीं। 2500 हटाया गया है। सीआरपीएफ ने चारी, लंगुराही, पचरुखिया और नागोबार में कैंप लगाए।
जमुई, लखीसराय और मुंगेर से घिरा भीम बांध दो दशकों से नक्सलियों के प्रभाव में था। मुंगेर के एसपी केसी सुरेंद्र बाबू को 2005 में पैसरा गांव के पास नक्सलियों ने मार गिराया था। अब वहां कैंप बना लिया गया है।

सीआरपीएफ के बिहार-झारखंड सेक्टर के आईजी अमित कुमार ने चाकरबंधा और भीमा बांधों से नक्सलियों को खदेड़ने के लिए स्थाई कैंप लगाने की रणनीति को अंजाम दिया। वह बिहार कैडर के आईपीएस हैं। अब सीआरपीएफ झारखंड सेक्टर के आईजी हैं। पुराने पहाड़ को भी सीआरपीएफ ने मुक्त करा लिया है।

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