बिहार में भाजपा और जदयू की सरकार बने अभी कुछ ही वक्त बीता है, लेकिन अब भाजपा और जदयू के बीच दूरी बढ़ती हुई दिखने लगी है। भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश में जदयू के 6 विधायकों को तोड़ दिया है। ये विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इससे बड़ा धक्का पहुंचा है। वे इससे बहुत आहत भी हुए हैं। यही वजह रही कि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की मां का निधन हो गया तो वे उनके घर पर नहीं गए। सबसे बड़ी बात यह रही कि मुख्यमंत्री आवास से केंद्रीय मंत्री का घर केवल ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वहां जाना उचित नहीं समझा।
करते रहे निरीक्षण, मगर गए नहीं

केंद्रीय मंत्री के घर से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर वे बेली रोड में लोहिया पथ चक्र का निरीक्षण कर रहे थे, मगर रविशंकर प्रसाद के आवास पर उनसे मिलने के लिए नहीं पहुंचे। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था कि नीतीश कुमार इस तरह के अवसर पर अपने सहयोगी दलों के नेताओं के घर नहीं गए हों। नीतीश कुमार का तो ऐसा भी रिकॉर्ड है कि विपक्षी दलों के नेताओं से भी मिलने के लिए वे पहुंच जाया करते हैं, लेकिन नीतीश कुमार जिस तरीके से रविशंकर प्रसाद के घर नहीं पहुंचे, ऐसे में ये कयास लगाए जाने लगे हैं कि नीतीश कुमार को भाजपा के अरुणाचल प्रदेश वाले कदम से बड़ा झटका लगा है।
भाजपा से बना रहे दूरी

ऐसे में उन्होंने अब भाजपा से दूरी बनानी शुरू कर दी है। यह माना जा रहा है कि दो दिनों की राष्ट्रीय बैठक और कार्यकारिणी की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोई महत्वपूर्ण फैसला कर सकते हैं। अपने राष्ट्रीय नेताओं के साथ बैठक में वे आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करने वाले हैं।

जिस तरीके से बिहार में अब भाजपा और जदयू के बीच यह दूरी बढ़ती हुई दिख रही है, वैसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले वक्त में बिहार एक बार फिर से कोई बड़ा राजनीतिक नाटक देखने के लिए मिल सकता है। वैसे भी नीतीश कुमार का इतिहास बहुत कुछ कहता है।