PM मोदी को पुरानी कहानी आई याद, बोले- पूरी करूंगा रघुवंश बाबू की आखिरी इच्छा

पटना
बिहार के दिग्गज नेता श्रीमान रघुवंश प्रसाद सिंह जी अब हमारे बीच नहीं रहे हैं। मैं उनको नमन करता हूं। रघुवंश बाबू के जाने से बिहार और देश के राजनीति में शून्य पैदा हुआ है। ये बाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पारादीप-मुजफ्फरपुर एलपीजी पाइपलाइन परियोजना के तहत हरसिद्धि पूर्वी चंपारण में हिंदुस्‍तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) और दुर्गापुर-बांका क्षेत्र में इंडियन ऑयल (Indian Oil) के नवनिर्मित बांका एलपीजी बॉटलिंग प्लांट के उद्घाटन समारोह में कहा। इस दौरान पीएम मोदी ने उनकी आखिरी इच्छा पूरी करने की भी बात कही।

पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन के शुरुआत में इस दुखद खबर को साझा करते हुए कहा कि बिहार के दिग्गज नेता श्रीमान रघुवंश प्रसाद सिंह जी अब हमारे बीच नहीं रहे हैं। मैं उनको नमन करता हूं। रघुवंश बाबू के जाने से बिहार और देश के राजनीति में शून्य पैदा हुआ है। जमीन से जुड़ा व्यक्तित्व, गरीबी को समझने वाला व्यक्तित्व। पूरा जीवन बिहार के संघर्ष में बिताया। जिस विचारधारा में वो पले बढ़े, जीवन भर उसको जीने का उन्होनें प्रयास किया।

रघुवंश बाबू से रहा निकट परिचय

मैं जब भारतीय जनता पार्टी के संगठन के कार्यकर्ता के रूप में काम करता था, उस काल से मेरा उनका निकट परिचय रहा। अनेक टीवी डिबेट में काफी वाद-विवाद करते रहते थे हमलोग। बाद में वो केन्द्रीय मंत्रिमंडल में थे यूपीए में, मैं गुजरात के मुख्यमंत्री के नाते भी उनके साथ लगातार संपर्क में रहता था विकास के कामों को लेकर के और पिछले तीन चार दिन से वे चर्चा में भी थे।

लगातार स्वास्थ्य की लेता था जानकारी

उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए मैं स्वयं भी लगातार जानकारियां लेता रेहता था और मुझे लगता था कि वे जल्दी ही ठीक होकर के वापस बिहार की सेवा में लग जाएंगे। लेकिन उनके भीतर एक मंथन भी चल रहा था। जिन आदर्शों को लेकर के वो चले थे, जिनके साथ चले थे उनके साथ चलना अब उनके लिए संभव नहीं रहा था और मन पूरी तरह उस जद्दोजहद में था। तीन चार दिन पहले उन्होनें अपने उस भावना को चिट्ठी लिख करके प्रकट भी कर दिया। लेकिन साथ-साथ भीतर उन्हें अपने क्षेत्र के विकास की भी उतनी ही चिंता थी तो उन्होनें बिहार के मुख्यमंत्री जी को अपनी एक विकास के कामों की सूची भेज दी। बिहार के लोगों की चिंता बिहार के विकास की चिंता उस चिट्ठी में प्रकट होती है।

मुख्यमंत्री नीतीश से किया आग्रह

मैं नीतीश जी से ज़रूर आग्रह करूंगा कि रघुवंश प्रसाद जी ने अपने आखिरी चिट्ठी में जो लिखा उसको परिपूर्ण करने के लिए आप और हम मिलकर के पूरा प्रयास करें। क्योंकि पूरी तरह विकास की बातें उन्होनें लिखी थी। उसको ज़रूर करें। मैं फिर एक बार कार्यक्रम के प्रारम्भ में श्रीमान रघुवंश प्रसाद जी को श्रद्धांजलि देता हूं उनको नमन करता हूं।

बता दें कि बिहार के दिग्गज नेता रघुवंश प्रसाद सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे। आजीवन राजनीति में सक्रिय रहने वाले रघुवंश प्रसाद ने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांसें लीं। कोरोना संक्रमित होने के बाद उनकी तबीयत जो गड़बड़ हुई फिर ठीक नहीं हो सकी। पटना में इलाज कराने के बाद उन्हें पिछले दिनों दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था।

बिहार की राजनीति के अजातशत्रु थे रघुवंश बाबू

रघुवंश प्रसाद सिंह की पहचान बिहार के टॉप के समाजवादी नेताओं में से एक थी। उन्हें बिहार की राजनीति का अजातशत्रु माना जाता है। राजनीति में शायद ही ऐसा कोई हो, जिससे रघुवंश बाबू की दुश्मनी हो। अपने पूरे पोलिटिकल करियर में रघुवंश प्रसाद सिंह विरोधियों के भी पसंदीदा नेता बने रहे। रघुवंश प्रसाद सिंह ने बिहार यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट हासिल किया था। बाद में वो गणित के प्रोफेसर बने और सीतामढ़ी के गोयनका कॉलेज में अध्यापन किया। 1970 में जब वो शिक्षकों के आंदोलन के दौरान जेल गए तब पहली बार जननायक कहे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर के संपर्क में आए।

जेपी आंदोलन में भी रहे सक्रिय

जेपी के आंदोलन में भी रघुवंश प्रसाद सिंह ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आपातकाल के दौरान उनके प्रोफेसरशिप चली गई और कांग्रेस की सरकार में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। इसी दौरान उन्हें मीसा एक्ट में गिरफ्तार भी किया गया। जेल में ही उनकी मुलाकात लालू प्रसाद यादव से हुई। तभी से यह दोस्ती चली जो अंत समय तक कायम रही। रघुवंश प्रसाद सिंह 1977 में बिहार सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे। लोकसभा के सदस्य के रूप में वह पहली बार 1996 में निर्वाचित हुए। 2004 में जब लोकसभा चुनावों में उन्हें जीत मिली तो उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय भी मिला। एक बार फिर 2009 में वो पांचवीं बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।

 

 

 

 

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