एक भी मौका नहीं चूक रहे चिराग, अबकी नीतीश को एक साथ दो जगह घेरा

पटना

अगर आपको लगता है कि बिहार विधानसभा चुनावों में केवल विपक्ष ही एकजुटता के संकट से जूझ रहा है तो आप पूरी तरह गलत हैं। एनडीए के सहयोगी भी एक दूसरे को राजनीतिक रूप से दबाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। अब आप चिराग पासवान को ही ले लीजिए। एक तरफ तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा घोषणा कर चुके हैं कि एनडीए में सबकुछ ठीक है। वहीं दूसरी तरफ चिराग हैं कि बिहार सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ एक-एक नए मोर्चे खोले जा रहे हैं। इस बार एलजेपी नेता चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को दो बिंदुओं पर एक साथ घेरा है। 

असल में चिराग ने नीतीश सरकार के 7 संकल्प पर ही सवाल उठाए हैं। चिराग ने साफ कहा है कि ये 7 संकल्प जदयू-राजद-कांग्रेस की महागठबंधन सरकार की नीतियों पर आधारित हैं। चिराग के मुताबिक महागठबंधन नहीं रहा और नीतीश अब एनडीए के सीएम हैं तो बिहार में सात संकल्प नहीं बल्कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम लागू होने चाहिए। अब आप सोचिए कि चुनाव से ठीक पहले इस मांग के राजनीतिक निहितार्थ कहां-कहां तक जा सकते हैं। 

चिराग ने केवल न्यूनतम साझा कार्यक्रम की बात नहीं कही है बल्कि नीट और जेईई परीक्षा से जुड़ी अपनी मांग को एक बार फिर दोहराया है। चिराग ने इसे लेकर सीएम नीतीश कुमार को फिर चिट्ठी लिखी है। चिराग ने साफ लिखा है कि बिहार में इन दोनों महत्वपूर्ण परीक्षाओं के आयोजन के लायक माहौल नहीं है। आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण के दौरान विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दल केंद्र और प्रदेश सरकारों पर इन परीक्षाओं को नहीं कराने का दबाव बना रहे हैं। लेकिन चिराग सरकार में रहते हुए ही ये दबाव बनाते दिख रहे हैं। 

चिराग ने आशंका जताई है कि अगर इस परीक्षा को आयोजित किया गया तो एक बड़ी आबादी कोरोना संक्रमण का शिकार हो सकती है। विभिन्न मुद्दों को लेकर एलजेपी नेता के लगातार हमलों ने नीतीश सरकार के सामने एक असहज स्थिति पैदा कर रखी है। यही वजह है कि जदयू नेता भी एलजेपी के खिलाफ लगातार हमलावार नजर आ रहे हैं। अब ऐसी स्थिति में ये देखना रोचक होगा कि ये सरकार को घेरने की नीति महज राजनीतिक स्टंट और सीट शेयरिंग पर दबाव बढ़ाने के लिए है या इसके राजनीतिक मायने आगे तक जाते हैं।  

 

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