पटना
रघुवंश बाबू अब हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं लेकिन उनके नाम पर सियासत रुकने का नाम नहीं ले रही है। बिहार में राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। रघुवंश बाबू की आखिरी चिट्ठी को लेकर राजद और एनडीए दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। राजद का आरोप है कि रघुवंश बाबू की चिट्ठियों पर प्रदेश सरकार ने साजिश की है। सवाल उठाए गए हैं रघुवंश बाबू कभी राजद छोड़ना ही नहीं चाहते थे तो उनके नाम पर चिट्ठियां आखिर किसने लिखीं? इसपर एनडीए के घटक दलों की भी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
अब पूर्व सांसद पप्पू यादव भी इस राजनीतिक जंग में उतर पड़े हैं। लेकिन एक हैरानी की बात यह है कि अक्सर लालू पर निशाना साधने वाले पप्पू यादव ने इस बार नीतीश को लपेटा है और राजद सुप्रीमो का साथ दिया है। पप्पू यादव ने आरोप लगाया है कि नीतीश सरकार रघुवंश बाबू के पार्थिव शरीर पर राजनीति कर रही है। पप्पू यादव ने कहा कि लालू प्रसाद यादव ने रघुवंश बाबू को जितना सम्मान दिया उनता नीतीश कुमार 7 जन्मों में भी नहीं दे सकते हैं।
नीतीश के साथ-साथ पीएम मोदी को भी घेरा
ऐसा नहीं है कि पप्पू यादव ने केवल नीतीश कुमार को ही घेरा है। रघुवंश प्रसाद सिंह के मामले में पूर्व सांसद ने पीएम मोदी को भी निशाने पर लिया है। पप्पू यादव ने कहा कि जबतक रघुवंश बाबू जिंदा रहे नीतीश कुमार उनका मजाक उड़ाते रहे। उन्होंने आगे कहा कि पीएम मोदी ने मनरेगा को करप्शन की पोटली कहा था। अब वो मनरेगा के लिए रघुवंश बाबू को शुक्रिया कह रहे हैं। पप्पू यादव ने यह भी कहा कि वह पहले ऐसे शख्स थे, जिन्होंने रघुवंश प्रसाद सिंह को सीएम बनाने की मांग की थी।
लालू के प्रति नरम, परिवार पर हुए गरम
पप्पू यादव ने इस मामले में लालू के प्रति तो सॉफ्ट कॉर्नर दिखाया लेकिन लगे हाथ उनके परिवार को घेर लिया। पप्पू यादव ने कहा कि लालू के बाद उनके परिवार ने रघुवंश प्रसाद सिंह को वो सम्मान नहीं दिया जिसके वो हकदार थे। आपको बता दें कि रघुवंश बाबू के जीवित रहते तेज प्रताप की एक टिप्पणी काफी वायरल हुई थी जिसमें उन्होंने राजद को समंदर बताया था। रघुवंश प्रसाद सिंह के पार्टी छोड़ने के संदर्भ में तेज प्रताप ने कह दिया था कि एक लोटा पानी निकालने से क्या होगा। इसी बयान को लेकर अब बीजेपी और एनडीए राजद पर निशाना साध रहे हैं। हालांकि इस बयान के तुरंत बाद लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप को न केवल रांची तलब किया था बल्कि इस मुद्दे पर उनसे बात भी की थी।