पटना
लोजपा की संसदीय दल की बैठक से बड़ी जानकारी निकल कर सामने आई है। ये चिराग पासवान और नीतीश कुमार से जुड़ी जानकारी है, जिसमें भाजपा के एक बड़े नेता का भी एंगल शामिल है। जानकारी ये है कि चिराग अब नीतीश पर खामोश रहेंगे। केवल चिराग ही नहीं बल्कि उनकी पार्टी भी अब नीतीश पर खामोश रहेगी। अब आप तो जानते ही हैं कि राजनीति में ऐसे ही कुछ नहीं होता। तो यहां भी मामला कुछ और ही नजर आ रहा है, क्योंकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चिराग के स्टैंड में ये बदलाव भाजपा के एक बड़े नेता के हस्तक्षेप के बाद हुआ है। मजेदार बात यह है कि चिराग की इस खामोश रणनीति की टाइमलाइन भी फिक्स है, और वो है 6 महीना। तय ये हुआ है कि चिराग अगले 6 महीनों तक नीतीश कुमार की आलोचना नहीं करेंगे।
पार्टी को भी दिया निर्देश
लोजपा अध्यक्ष ने पार्टी को भी यह नसीहत दी है कि आपलोग भी शांत रहे। चिराग ने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को पार्टी को मजबूत बनाने के कार्य में लगने का निर्देश दिया है। बता दें कि लोजपा अध्यक्ष ने संसदीय बोर्ड की बैठक में यह निर्देश दिए हैं। जिसके बाद से ही चिराग के रुख में इस बदलाव को लेकर तरह तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं। कुछ का कहना है कि चिराग के इस फैसले के पीछे भाजपा का हाँथ है। भाजपा नहीं चाहती की लोजपा को लेकर नई गठित सरकार में घटक दलों के बीच किसी भी तरह का मतभेद पैदा हो।
नीतीश कुमार का विरोध न करने भाजपा ने दिया संकेत
संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान चिराग ने कहा कि नीतीश कुमार का विरोध न करने का संकेत भाजपा की ओर से भी मिला है। जिसके बाद ही उन्होनें यह फैसला लिया है। जानकारी के अनुसार चिराग के मुताबिक भाजपा के एक बड़े नेता ने यह संकेत दिए हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश प्रतिकूल टिप्पणियों से आहत होते हैं। जिससे एनडीए के घटक दलों के बीच मतभेद पैदा हो सकते हैं और यह भाजपा नहीं चाहती है। हम पार्टी भी लोजपा के द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश पर की गई टिप्पणियों का खुलकर विरोध करती है।
एनडीए से नहीं अलग होगी लोजपा
बैठक में चिराग ने यह भी साफ किया कि पार्टी एनडीए का हिस्सा बनी रहेगी। रामविलास पासवान की सीट लोजपा को नहीं मिलने के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि लोजपा एनडीए छोड़ सकती है। लेकिन इन कयासों को पूरी तरह से खारिज करते हुए चिराग ने एनडीए में बने रहने की बात कही है।