टीकाकरण की सांकेतिक तस्वीर। File Photo

पहले 780 हेल्थ वर्करों को धांधली से नियुक्ति को सच माना, निकाल दिया, 24 घंटे बाद फिर से बहाल

Patna : बिहार में नीतीश सरकार में भी ऐसा कुछ हो सकता है भरोसा नहीं होता लेकिन अब जब सच सबके सामने आ गया है तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार की सरकार में करप्शन को सरकारी मंजूरी दे दी गई है। जी हां, मामला मुजफ्फरपुर का है और भ्रष्टाचार के संरक्षक बनाकर आगे कर दिया गया है सिविल सर्जन को। क्योंकि जिलाधिकारी ने तो अपने हाथ ऊपर कर लिये हैं और कहा मुझे कोई जानकारी ही नहीं है। क्या ऐसा संभव है? बिना जिलाधिकारी की अनुमति के 780 लोगों को नियुक्त कर लिया जाये वो भी तब जब 24 घंटे पहले ही जिलाधिकारी के आदेश से सभी को नौकरी से हटाया गया हो। उनके आदेश से ही जांच भी बैठी और जांच में यह बात भी साबित हो गई कि कर्मचारियों की नियुक्ति में व्यापक पैमाने पर करप्शन को अंजाम दिया गया।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट‍्वीट किया है- 15 दिन में नीतीश कुमार के तीन क्रांतिकारी निर्णय:- कृपया खुद देखे और पढ़ें। दिवार पर इश्तेहार चिपका बिना आवेदन, तारीख़ और योग्यता के पैसे लेकर 780 लोगों की नियुक्तियाँ की। मामला उजागर होने पर 15 दिन बाद बहाली रद्द कर दी गयी। एक दिन बाद फिर उन्हें पुन: बहाल कर दिया गया।
बहरहाल यह पूरा मामला वाकई में दिलचस्प है। बता दें कि मुजफ्फरपुर में धांधली और पैसे लेकर नियुक्ति के आरोप में हटाये गये 780 स्वास्थ्यकर्मियों और सहायकों की सेवा जिले के सिविल सर्जन ने 24 घंटे के अंदर बहाल कर दी। सिविल सर्जन ने गुरुवार को इनका नियोजन समाप्त कर दिया था। अब अपने ही आदेश को रद्द कर संशोधित आदेश निकाला है। इन कर्मियों को कोरोनाकाल में स्वास्थ्कर्मियों की कमी को देखते हुये 26 जुलाई तक के लिये नियोजन पर रखा गया था। सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी ने संशोधित आदेश में कहा है कि सभी पीएचसी प्रभारी और संबंधित चिकित्सकों के नियोजन रद्द किये जाने से टीकाकरण और कोरोना से जंग का अभियान कमजोर पड़ने की आशंका है। इसलिए 780 लोगों के नियोजन को तत्काल प्रभाव से पुनर्बहाल किया जाता है। नये आदेश में जनहित को देखते हुये यह फैसला लेने की बात कही गई है। इससे पहले सदर अस्पताल गेट पर सुबह से ही धरना-प्रदर्शन और हंगामा हुआ। जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने पूरे प्रकरण से अनभिज्ञता जताई। कहा -उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।

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