सर्पगंधा एक औषधीय पौधा है। इसकी भी खेती यदि की जाए तो यह मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है। जलालगढ़ प्रखंड के एक किसान जितेंद्र कुशवाहा ऐसा ही कर रहे हैं। पिछले 10 वर्षों से वे न केवल अनाज उगा रहे हैं, बल्कि साथ में दो से तीन एकड़ की जमीन पर वे सर्पगंधा की खेती भी कर रहे हैं। जितेंद्र का कहना है कि इसकी फसल को तैयार होने में 18 महीने का समय लगता है। वे सिर्फ 75 हजार रुपये इसके लिए खर्च करते हैं, लेकिन उन्हें डेढ़ वर्षो में 3 से 4 लाख रुपये की कमाई आराम से हो जाती है। लगभग 25 से 30 क्विंटल सर्पगंधा को एक एकड़ जमीन पर उगाया जा सकता है।
अच्छी-खासी कीमत
इसकी बिक्री की बात करें तो यह 70 से 80 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है। सर्पगंधा की खासियत यह है कि इसके जड़ से लेकर तने और फल तक का इस्तेमाल होता है। यही वजह है कि इसकी मांग काफी रहती है। सरपेन्टिन नामक दवा सर्पगंधा के पौधे की जड़ से ही बनाई जाती है। इससे कई तरह की औषधियां तैयार होती हैं। सर्पगंधा के पौधे के लिए छांव होना जरूरी है। यही वजह है कि साल, लीची और आम के पेड़ के नजदीक इसे ज्यादातर उगाया जाता है।
खेती का तरीका
सर्पगंधा की खेती करना भी ज्यादा कठिन नहीं है। कृषि वैज्ञानिक डॉ अभिषेक प्रताप सिंह के मुताबिक बारिश का मौसम शुरू होने के दौरान बीजों की बुवाई कर दी जाती है। 8 से 10 किलो बीज 1 हेक्टेयर के लिए चाहिए होते हैं। इसके बाद अगस्त में रोपाई कर दी जाती है। इसकी खेती करने से पहले मई में खेतों की जुताई कर देनी चाहिए। लगभग डेढ़ से 2 साल में सर्पगंधा की फसल तैयार हो जाती है। सम एवं समशीतोष्ण जलवायु में कृषि वैज्ञानिक सुनील झा के मुताबिक सर्पगंधा की खेती होती है।
सेहत के लिए फायदे
सर्पगंधा के फायदे दरअसल बहुत से हैं। एक तो सांप काटने के दौरान स्थानीय लोगों द्वारा यह इस्तेमाल में लाया जाता है। ऊपर से मानसिक रोगी यदि बहुत परेशान है तो उसे यदि इसे दिया जाए, तो वह भी शांत हो जाता है। पेट के कीड़ों को मारने के लिए गोल मिर्च के साथ इसकी जड़ का काढ़ा बनाकर पिया जाता है, जिससे आराम मिलता है। इसी तरीके से पेट दर्द में भी यह आराम पहुंचाता है। प्रसव के दौरान भी यह उपयोग में लाया जाता है।