पटना
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर सरकार की ओर से भी अभियान चलाए जा रहे हैं। जहां बहुत से लोग अभी भी जैविक खेती को अपनाने से दूर भाग रहे हैं, वहीं बिहार में एक ऐसा गांव भी है, जिसने जैविक खेती के मामले में मिसाल पेश कर दी है। यह गांव जमुई जिले में स्थित है। इस गांव का नाम है केड़िया।
विदेशों से भी आ रहे किसान
आलम यह है कि विदेशों से भी किसान आज इस गांव में जैविक खेती की वजह से पहुंच रहे हैं। इस तरह से जैविक गांव ही अब यह बन गया है। जैविक खेती का इसे प्रमाणपत्र भी मिल गया है। यहां 45 एकड़ की जमीन में करीब 107 परिवार जैविक खेती में लगे हुए हैं। गेहूं और धान वे इसी तरीके से उगा रहे हैं। बाकी किसानों को भी वे ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
लागत में कमी
यहां के किसानों का कहना है कि जैविक खेती करने से न केवल लागत में कमी आई है, बल्कि उन्हें अपने उत्पादों की अच्छी कीमत भी मिल रही है। किसानों के मुताबिक जैविक विधि से खेती करने से स्वास्थ्य भी मिट्टी का बढ़िया बना रह रहा है।
गांव के किसान जैविक खेती में खूब पसीना बहा रहे हैं। सिक्किम सरकार की तरफ से वर्ष 2018 में और प्रमाणीकरण फोरम की ओर से भी इस गांव को प्रमाणपत्र दिया जा चुका है।
परिचय का आज मोहताज नहीं
बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार यह कह चुके हैं कि आज की तारीख में केड़िया गांव किसी पहचान का मोहताज नहीं रह गया है। जैविक कृषि क्रांति की शुरुआत इसी ने की है। पूरे बिहार का इस मामले में यह मार्गदर्शन कर रहा है। बिहार में फिलहाल 250 हेक्टेयर की जमीन पर जैविक खेती हो रही है।