लालू प्रसाद, चिराग पासवान और तेजस्वी यादव की फाइल फोटो। Image Source : Agencies

राजनीति की सधी चाल : चिराग से लालू और तेजस्वी की हुई बात, गठजोड़ पर योजना बनी

Patna : लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने आखिरकार बिहार में विपक्ष की राजनीति को धार देने की योजनाओं पर अमल शुरू कर ही दिया है। चिराग ने श्याम रजक से मुलाकात के एक दिन बाद रविवार को राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी से बात की है। शनिवार को श्याम रजक उनसे मिलने पहुंचे थे तो करीब 15 मिनट से अधिक समय तक चिराग ने लालू यादव से फोन पर बात की थी। लालू यादव से बात करने के बाद चिराग ने अपना छोटा भाई मानने वाले तेजस्वी यादव से भी बात की। उनकी बातचीत बिहार में संभावित भावी राजनीतिक गठजोड़ को लेकर हुई जिसमें आगे की राजनीति की दिशा तय करने का प्रयास किया गया। पिछले महीने ही तेजस्वी यादव ने हाथ मिलाने के लिये चिराग को फोन किया था। उस वक्त चिराग पासवान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से काफी उम्मीद थी लेकिन अब जब सबकुछ साफ हो गया है तो चिराग ने नई राह तय करने का निश्चय किया है।

लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत के दावे को लेकर चिराग पासवान और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के बीच विवाद के बीच लालू और चिराग के बीच हुई इस बातचीत से साफ है कि चिराग पासवान ने अब भारतीय जनता पार्टी से अलग अपनी राह चुनने का फैसला कर लिया है। बस फैसलों में जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं। चिराग ने अभी बिहार में आशीर्वाद यात्रा के प्रथम चरण को पूरा कर लिया है और दिल्ली लौट गये हैं। तो दूसरी ओर तेजस्वी बिहार दौरे का कार्यक्रम बना रहे हैं। दोनों युवा नेताओं के साथ आने से बिहार की राजनीति की धारा बदल सकती है। वैसे तेजस्वी लगातार यह कह रहे हैं कि वो अब ए टू जेड यानी सभी वर्गों की राजनीति कर रहे हैं।
बता दें कि शनिवार को श्याम रजक ने चिराग पासवान के साथ हुई मुलाकात को शिष्टाचार मुलाकात करार देते हुये कहा था कि इस मीटिंग के कोई राजनैतिक मायने नहीं हैं। पर राजद में चिराग के स्वागत पर रजक ने कहा कि जो भी लोहिया और अंबेडकर की विचारधारा को आगे बढ़ाना चाहते हैं, उनका स्वागत है।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार के बाद जदयू के अंदर हो रहे खींचतान पर राजद अध्यक्ष लालू यादव की पैनी नजर है। राजद का मानना है कि अब तक कांग्रेस और राजद में टूट का दावा करने वाले जदयू के नेता अब आपस में ही उलझ रहे हैं। जदयू में लगातार ये बात सामने आ रही है कि केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह और अभी हाल ही में जदयू में लौटे उपेंद्र कुशवाहा के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। उपेंद्र ने राज्यव्यापी दौरा शुरू कर जदयू को मजबूत करने के बहाने जो राजनीति शुरू की है उसे जदयू का ही एक गुट नाखुश है। इन राजनीतिक घटनाओं पर लगातार नजर रखते हुये लालू ने तेजस्वी को आगे की राजनीति संभल-संभल कर करने की सलाह दी है। राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक को पुराने संबंधों का फायदा उठाते हुये सत्तारुढ़ दलों के असंतुष्ट नेताओं से बात करने की जिम्मेवारी दी गई है। रविवार को भी राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक और मनोज झा की लालू यादव से लंबी मंत्रणा हुई। राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सारण में कद्दावर नेता प्रभुनाथ सिंह के घर जाकर भेंट की और नई राजनीतिक परिस्थितियों पर मंत्रणा की।
इधर लोजपा (सेक्यूलर) ने चिराग पासवान के नेतृत्व में आस्था व्यक्त करते हुये पूरी पार्टी का लोजपा में विलय करने का निर्णय लिया है। रविवार को लोजपा (से) की राष्ट्रीय कार्यकारणी, राज्य पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया। अब चिराग पासवान के समक्ष पार्टी का लोजपा में विलय होगा। बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सत्यानंद शर्मा ने विलय का प्रस्ताव पेश करते हुये कहा कि मौजूदा परिस्थिति में लोजपा में विलय आवश्यक है। जिन कारणों से हम लोजपा से टूट कर अलग हुये थे, वह खत्म हो चुका है।

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