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शत्रुध्न सिन्हा अब TMC के टिकट पर आसनसोल से जायेंगे लोकसभा, दिल्ली-पटना के बाद अब बंगाल में राजनीतिक बिसात

पटना: एक्टर एवं राजनेता शत्रुध्न सिन्हा कांग्रेस का दामन छोड़कर टीएमसी में शामिल हो गए हैं। टीएमसी की ओर से वह पश्चिम बंगाल के आसनसोल से लोकसभा जाएंगे। इसकी घोषणा टीएमसी की अध्यक्ष एवं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हैं। शत्रुध्न सिन्हा पटना साहिब सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं। आसनसोल के बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो के इस्तीफे के बाद यह सीट खाली है। हाल में बाबुल सुप्रीयो भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। बता दें आसनसोल लोकसभा और बालीगंज विधानसभा उपचुनाव के लिए 17 माच को अधिसूचना जारी की जाएगी। चुनाव आयोग ने बताया कि नामांकन 24 मार्च तक लिया जाएगा। आवेदनों की स्क्रूटनी 25 मार्च से शुरू होगी। 28 मार्च को नाम वापसी होगी। 12 अप्रैल को मतदान होगा। जबकि 16 अप्रैल को रिजल्ट आएगा।

2019 में बीजेपी से नाराज होकर कांग्रेस में हुए थे शामिल
2019 लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी से नाराज होकर शत्रुध्न सिन्हा कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब से चुनाव लड़े थे और हार गए थे। यहां से भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद की जीत हुई थी। फिर 2020 में बिहारी बाबू के बेटे लव सिन्हा पटना की बांकीपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था। इसमें लव की हार हुई थी।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कीर्ति आजाद भी टीएमसी में हो चुके हैं शामिल
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कीर्ति आजाद भी टीएमसी में शामिल हो चुके हैं। कीर्ति ने अपने कॅरियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से की थी। भाजपा छोड़कर वह कांग्रेस में शामिल हुए और कांग्रेस को छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया। कीर्ति आजाद ने सदस्यता ग्रहण के बाद कहा कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि ममता के नेतृत्व में मैं देश के विकास के लिए काम करूंगा। कहा कि देश को उनके जैसे व्यक्तित्व की जरूरत है, जो देश को सही दिशा दे सके। माना जा रहा है कि कीर्ति आजाद के तौर पर ममता और उनकी पार्टी टीएमसी को बिहार में बड़ा चेहरा मिला है। कीर्ति आजाद के पिता बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अभी 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कीर्ति ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था। उनके बीजेपी छोड़ने की वजह अरुण जेटली के साथ विवाद बताया जाता रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव के समय कीर्ति आजाद ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था पर उनकी जीत नहीं हो सकी थी। हाल में उन्हें दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनाने जाने की चर्चा उड़ी थी।

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