पटना: सम्राट अशोक पर विवादित बयान को लेकर जदयू और भाजपा में विवाद गहराता जा रहा है। नाटककार एवं बीजेपी नेता दया सिन्हा के पद्मश्री को वापस लिए जाने की मांग जोर पकड़ रही है। जदयू नेता एवं एमएलसी नीरज कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार तत्काल दया सिन्हा ने पद्मश्री अवॉर्ड वापस ले। इन्होंने कहा कि दया ने राष्ट्रीय चिह्न पर हमला किया है। इससे राष्ट्रीय अस्मिता को ठेस पहुंची है। कहा कि उन्हें सम्राट अशोक अवॉर्ड मिला है और वह अशोक के बारे में ही विवादत बयान दे रहे हैं। इससे पहले जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुंगेर सांसद ललन सिंह ने भी दया सिन्हा से अवॉर्ड वापसी की मांग कर चुके हैं। जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने सबसे पहले यह मांग की थी। इधर, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि सम्राट अशोक के ऊपर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा है कि दया सिन्हा बीजेपी के नेता है ही नहीं।
मंत्री सम्राट चौधरी भी दे चुके हैं बयान
इस मामले पर पंचायती राज मंत्री एवं भाजपा नेता सम्राट चौधरी भी विवादित बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि बौद्ध ग्रंथ में सम्राट अशोक को कुरूप क्रूर और पत्नी को जला देने वाला बताया गया है। अगर, अशोक औरंगजेब जैसे होते तो उनके द्वारा बनाए गए चक्र को न तो राष्ट्रीय प्रतीक बनाया जाता और न राष्ट्रीय ध्वज में उसे जगह दी जाती। राष्ट्रपति भवन में भी अशोक भवन नहीं बनाया जाता।
क्या है पूरा बवाल
दरअसल, सम्राट अशोक के जीवन पर आधारित नाटक के लिए दया सिन्हा सम्मानित किए गए थे। कलिंग की लड़ाई के बाद ही अशोक ने हिंसा छोड़ कर अहिंसा के मार्ग पर चलना शुरू किया था। इस पर दया ने एक इंटरव्यू में कहा था कि औरंगजेब की तरह सम्राट अशोक ने कई पाप करने के बाद अपने कुकर्मों को छिपाने की कोशिश की।
हिंदी साहित्य के इतिहास में पहली बार किसी को पुरस्कार
हिंदी साहित्य के इतिहास में पहली बार किसी को अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया है। दया सिन्हा को यह अवॉर्ड उनके नाटक सम्राट अशोक के लिए मिला है। यह नाटक लिखने के अलावा खुद एक्ट भी करते हैं।